जानिये कैसे करे लक्ष्मी व्रत का महत्व व पूजा विधि

जानिये कैसे करे लक्ष्मी व्रत का महत्व व पूजा विधि 





संसार में पैसे की बुहत जरुरी चीज है। पैसा आज के दौर में खुदा के 100 प्र्रतिशत बराबर है आज पैसा जीवन की सबसे बडी समस्या है। मनुष्य गरीब यानि निर्धनता पैसे की कमी के कारण व्यक्ति मान सम्मान से वचिंत रहता है और समाज में उसका अलग स्थान होता है।





संसार में पैसे की बुहत जरुरी चीज है। पैसा आज के दौर में खुदा के 100 प्र्रतिशत बराबर है आज पैसा जीवन की सबसे बडी समस्या है। मनुष्य गरीब यानि निर्धनता पैसे की कमी के कारण व्यक्ति मान सम्मान से वचिंत रहता है और समाज में उसका अलग स्थान होता है।
Maa Laxmi Vrat and Pooja vidhi





संसार में पैसे की बुहत जरुरी चीज है। पैसा आज के दौर में खुदा के 100 प्र्रतिशत बराबर है आज पैसा जीवन की सबसे बडी समस्या है। मनुष्य गरीब यानि निर्धनता पैसे की कमी के कारण व्यक्ति मान सम्मान से वचिंत रहता है और समाज में उसका अलग स्थान होता है। धर्म शास्त्रों में माँ लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में गजलक्ष्मी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योकि इनसे गरीबी दूर होती है। धन देवी का व्रत सोलह दिनों तक चलता है। यह व्रत का प्रारंभ भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी के दिन से किया जाता है। इस वार महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ 06 सितम्बर 2019 किया जा रहा है।


लक्ष्मी का व्रत की पूजा विधि 

महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ करने के लिए प्रातरूकाल में स्नान कार्यों से खतम करने बाद व्रत का संकल्प लें।
व्रत संकल्प के के लिए इस मंत्र का शुमिरण करें:-
करिष्येहं महालक्ष्मि व्रतमें त्वत्परायणा ।
तदविघ्नेन में यातु समप्तिं स्वत्प्रसादतरू ।।
 अर्थात्
हे देवी, मैं आपकी सेवा में तत्पर होकर आपके इस महाव्रत का पालन करूंगा/करूंगी। मेरा यह ‍व्रत निर्विघ्न पूर्ण हो।



व्रत का संकल्प लेने के बाद मां लक्ष्मी जी ने नाम से अपनी कलाई में कलाब बांध लें। जिसमें सोलह गांठे लगी है। सोलहवे दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है। सोहलवे दिन व्रत पूरा हो जाने बाद वस्त्र से एक मंडप बनाकर उसमें मां  लक्ष्मी जी की मुर्ति रखें। पूजन सामग्री में चंदन, ताल, पत्र, पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल आदि नाना प्रकार की सामग्री रखी जाती है। 

स्पेशल नोटः- 
अगर कोई व्रतधारी किसी कारणवश इस व्रत को सोलह दिनों तक न कर पाए तो केवल तीन दिन तक भी इस व्रत को कर सकता है। जिसमें पहले, आठवें और सोलहवें दिन यह व्रत किया जाता है।

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